गढ़ धनोरा गोबरहीन मंदिर ऐतिहासिक व धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है। कोंडागांव जिले के केशकाल तहसील में स्थित है यह कोंडागांव -केशकाल मुख्य मार्ग पर केशकाल से 2 कि.मी. पूर्व बायें ओर 3 किमी की दूरी पर सिथत है।
धनोरा को कर्ण की राजधानी कहा जाता है। गढ़ धनोरा में 5-6 वीं सदी के प्राचीन मंदिर,विष्णु एंव अन्य मूर्तियां व बावड़ी प्राप्त हुई है।
यहां केशकाल टीलों की खुदाई पर अनेक शिव मंदिरों मिले है। यहां स्थित एक टीले पर कई शिवलिंग है, यह गोबरहीन के नाम से प्रसिद्ध है। यहां महाशिवरात्रि के अवसर पर विशाल मेला आयोजित किया जाता है।
इसी तरह केशकाल की पवित्र पुरातन भूमि में अनेक स्थल ऐसे हैं जो न केवल प्राचीन इतिहास के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है बलिक श्रद्धा एवं आस्था के अदभुत केंद्र है।
shivlinga gobrahin |
इसके अलावा सावन सोमवार के दौरान बड़ी भारी संख्या मे श्रद्धालु कांवऱिये जलाभिषेक करने आते हैं।
यहां एक पुराना तालाब भी है इसकी विशेषता यह है कि यह कभी नही सुखता तथा इसके अलावा इसका पानी आश्चर्यजनक रूप से कई रंगो में परिवर्तित होते रहता है
गढ़ धनोरा गोबरहीन मंदिर धार्मिक स्थल मे महाशिवरात्रि एवं सावन सोमवार के अवसर पर पूजा अर्चना हेतु अन्य जिलो जैसे कांकेर, धमतरी, रायपुर जैसे अन्य जिलो से भी श्रद्घालु पंहुचते है।
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