बड़े डोंगर फरसगांव का दंतेश्वरी माता मंदिर की पूरी जानकारी | badedongar temple
फरसगांव ब्लाक का ऐतिहासिक गांव बड़े डोंगर पुराने समय में बस्तर रियासत की राजधानी हुआ करती थी। यहां की परंपरा बस्तर दशहरा से मिलती जुलती है।राष्ट्रीय राजमार्ग 30 पर कोण्डागांव जिले के फरसगांव तहसील 16 किमी दूर स्थित बड़ेडोंगर महाराजा पुरूषोत्तम देव के समय में बस्तर की राजधानी बनी पर इसका इतिहास इससे भी प्राचीन है। लोगों की मान्यताओं के अनुसार यह देवलोक है। चारों ओर से पहाड़ियों व सुरम्य जंगलों के बीच घिरी बड़ेडोंगर के हर पहाड़ पर देवी-देवताओं का वास है। आदिवासियों की मान्यता है कि 33 कोटि देवी-देवता यहां निवास करते हैं।
मान्यता यह है कि सतयुग में महिषासुर राक्षस ने इस देवलोक पर हमला कर त्राहि-त्राहि मचा दी तब देवताओं के आह्वान पर माता पार्वती देवी दुर्गा के रूप में प्रकट हुई और दोनों के बीच संग्राम बडे डोंगर की पहाड़ी पर हुआ। इस संग्राम के निशान के रुप में शेर का पंजा, भैंसा तथा माता के पगचिन्ह आज भी पहाड़ी के चट्टानों पर मौजूद हैं, कालांतर में यह बस्तर के राजपरिवार के साथ आई आराध्य मां दंतेश्वरी की वास स्थली बनी और दंतेश्वरी माता यहीं से राजा के साथ दंतेवाड़ा गई। घास-फूस से बने मंदिर का जीर्णोद्धार 1940 में किया गया जिसमें श्रद्धालुओं की अटूट आस्था है और मान्यता है कि सच्चे मन से मांगी गई हर मुराद यहां मांगने पर पूरी होती है।
प्रकृति के गोद में बसा बड़ेडोंगर चारों ओर से वनाच्छादित पहाड़ियों से घिरा हुआ है। बस्तर के राजा पुरूषोत्तम देव के समय में इलाके में निर्मित 147 तालाब बड़ेडोंगर के खूबसूरती पर चार चांद लगाते थे पर बढ़ते अतिक्रमण के कारण तालाबों की संख्या अब 80 से अधिक नहीं है। तालाबों और पहाड़ियों पर बने मंदिर और देव स्थल यहां धार्मिक पर्यटन की संभावनाओं को बढ़ाते हैं।
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