मामा भांजा मंदिर | बत्तीसा मंदिर | चन्द्रादित्य मंदिर बारसूर | MAMA BHANJA TEMPLE

इस मंदिर की अनोखी बात यह है की मामा -भांजा मंदिर शिव को समर्पित है लेकिन नाम इसका ‘मामा –
भांजा’ मंदिर है। मंदिर के बारे में कहते हैं, मामा और भांजा दो मूर्तिकार थे जिन्हे ये मंदिर बनाने का काम मिला था परन्तु मंदिर बनाने के लिए उन्हें मात्र एक दिन का समय दिया गया था और उन्होंने ये मंदिर एक दिन में बना भी दिया था। यह मंदिर वर्तमान में भारतीय पुरातत्व विभाग के संरक्षण में है। मामा भांजा मंदिर काफी ऊँचा मंदिर है, और इसमें ऊपर दो तरफ मामा
और भांजा के पत्थर की मूर्तियां बनायीं गयी हैं |
battisa mandir

बारसूर का बत्तीसा मंदिर

बत्तीसा का मतलब बत्तीस अंक से है इस मंदिर में 32 स्तम्भ हैं। दक्षिण बस्तर में  दंतेवाड़ा से 31 किमी दूर बारसूर का ऐतिहासिक बत्तीसा मंदिर
32 खंभो पर टिका है। यहां प्राप्त शिलालेख के अनुसार इस मंदिर को सन्‌ 1030
में नागवंशीय नरेश सोमेश्वरदेव ने अपनी रानी के लिए बनवाया था। इस मन्दिर की खासियत यह है की इसमें दो गर्भगृह हैं दोनों गर्भगृह में अलग अलग शिवलिंग स्थापित हैं। यहां के दो शिवालय में राजा और रानी शिव की अलग-अलग आराधना करते
थे। ये दोनों शिवालय
सोमेश्वर महादेव और गंगाधरेश्वर महादेव के नाम से शिलालेख में दर्ज है। बस्तर संभाग में दो गर्भगृह वाला यह इकलौता शिवालय है।

चन्द्रादित्य मंदिर 

चन्द्रादित्य मंदिर जिला मुख्यालय जगदलपुर से 75 किमी दूर स्थित है इस मंदिर का निर्माण राजा चन्द्रादित्य ने
कराया था।बारसूर में चंद्रादित्य मंदिर
शिव को समर्पित है। ऐसा माना जाता है कि मंदिर का निर्माण चंद्रादित्य ने कराया था
बारसूर के  मंदिर की जानकारी के लिए क्लिक करे –
बारसूर गणेश मंदिर 

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