माँ अंगारमोती मंदिर गंगरेल धमतरी की पूरी जानकारी | ANGAAR MOTI TEMPLE GANGREL DHAMTARI
अंगार मोती माता मंदिर धमतरी से मात्र 12 km की दुरी पर गंगरेल बांध के पास स्थित है। जब गंगरेल बांध बनकर तैयार हुआ। उस समय डुबान क्षेत्र के अंदर आने वाले सभी गाँव के साथ उन गॉंवो के देवी-देवताओं के मंदिर भी जल में समां गए थे।
जिनमें से एक माँ अंगारमोती का मंदिर भी था।
इसके पश्चात विधि-विधान के साथ देवी की मूर्ति को पूर्व स्थान से हटाकर गंगरेल बांध के समीप स्थापित किया गया है।
यहाँ विशाल वृक्ष के नीचे खुले चबूतरे पर उनकी प्राण-प्रतिष्ठा की गई है।
चूंकी देवी को वन देवी भी कहा जाता है ये सभी वनदेवियों की बहन मानी जाती हैं।
इन्हें प्रकृति और हरी-भरी वादियों से विशेष लगाव है इस कारण खुले स्थान पर ही उनकी पूजा की जाती है।
यह भी मान्यता है कि अंगारमोती देवी लोगों की मनोकामना पूरी कर देती है कोई भी भक्त यहां से निराश नहीं लौटता।
मनोकामना पूर्ण होने के पश्चात यहाँ बलि देने की भी प्रथा है।
कहा जाता है कि हर शुक्रवार को बलि देने वालों का तांता लगा होता है।
दीपावली के बाद प्रथम शुक्रवार को अंगारमोती मंदिर में विशाल मेले का आयोजन किया जाता है।
जिसमे श्रद्धालुओं की भीड़ देखते बनती है। जिसमें विभिन्न गॉंवो के देवी-देवता समेत हजारों लोग आते हैं।
इसके साथ ही प्रतिवर्ष चैत्र व शारदीय नवरात्र में अंगारमोती मंदिर में ज्योत प्रज्ज्वलित किया जाता है।
नवरात्र में हजारों की संख्या में श्रद्धालु उपस्थित होते हैं।
अंगारमोती मंदिर के आस पास गंगरेल डैम तथा माँ विंध्यवासिनी माता मंदिर है।
जो अपनी कला सांस्कृतिक के लिए प्रसिद्ध है।
गंगरेल बांध जाने का सबसे अच्छा समय मानसून के समय है
मानसून में बांध बारिश के पानी से पूरी तरह भरा रहता है तथा सैलानियों की संख्या मानसून के समय ज्यादा होती है।
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